थोडे दिनों पहले विकल्प का लेख पढ़ा पिलानी के
हिन्दी प्रेस क्लब के
ब्लॉग पर| बहुत दिनों बाद हिन्दी में कुछ पढ़ा| उसके बाद
प्रतीक माहेश्वरी का ब्लॉग पढ़ा| बहुत अच्छा लिखते हैं| तब से हिन्दी में लिखने का मन कर रहा था, इसलिए अगली रचना हिन्दी में| अब से इस चिट्ठे में थोड़ी हिन्दी, थोड़ी अंग्रेज़ी|
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