कॉलेज का आखिरी साल, हर लम्हे को पूरी तरह जी लेने का जज़्बा लेकर आता है| हर कोई कहता है कि यह चार साल ज़िन्दगी के सबसे सुनहरे साल हैं, जितनी मस्ती कर सकते हो कर लो| पर यथार्थ में यही ज़िन्दगी की नींव के सबसे महत्त्वपूर्ण पत्थर भी होते हैं| चौथे साल तक भविष्य कि चिंता दस्तक देने लगती है, साथ ही दोस्तों की अहमियत महसूस होती है | इस उधेड़बुन के बीच मैं यह चिट्ठा लिख रही हूँ, कॉलेज के रंगीन दिनों पर | कुछ दोस्त विदाई ले चुके हैं, बाकीयों से बिछुड़ने का अहसास है | पर होठों पर सदा मुस्कान लायेंगी कॉलेज कि ये यादें ........
PS: If you are a non-Hindi reader, don't worry, I won't be writing the memoir completely in Hindi :P
every memory of friendship shared, even for a short time, is a treasure, like sunshine and warmth in our lives, like a cool breeze on a humid day, like a shower of rain refreshing the earth.
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